बस यही सोच के तस्कीन सी हो जाती है
और कुछ लोग भी दुनिया से ख़फ़ा बैठे हैं
Tag: चुनिंदा ख़फ़ा शायरी इन हिंदी
ख़फ़ा शायरी – ख़फ़ा हैं फिर भी आ
ख़फ़ा हैं फिर भी आ कर छेड़ जाते हैं तसव्वुर में
हमारे हाल पर कुछ मेहरबानी अब भी होती है
ख़फ़ा शायरी – मुस्कुरा कर ही मिलते हो
मुस्कुरा कर ही मिलते हो आजकल हर दफ़ा..
तुम भी मुझ से ख़फ़ा तो नहीं ?..
ख़फ़ा शायरी – ख़फ़ा होना ज़रा सी बात
ख़फ़ा होना ज़रा सी बात पर तलवार हो जाना
मगर फिर ख़ुद-ब-ख़ुद वो आप का गुलनार हो जाना
ख़फ़ा शायरी – मेरे हर्फ़-हर्फ़ में तू समाता
मेरे हर्फ़-हर्फ़ में तू समाता हैं
मेरी जीस्त से क्यूँ ख़फ़ा सा हैं..
ख़फ़ा शायरी – तोड़ कर अहद-ए-करम ना-आश्ना हो
तोड़ कर अहद-ए-करम ना-आश्ना हो जाइए
बंदा-परवर जाइए अच्छा ख़फ़ा हो जाइए
ख़फ़ा शायरी – आज “आईना” फिर ख़फ़ा था
आज “आईना” फिर ख़फ़ा था हमसे
हम उसे देखकर “मुस्कुराये” जो थे…