रिश्तों का ए’तिबार वफ़ाओं का इंतिज़ार
हम भी चराग़ ले के हवाओं में आए हैं
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चराग़ शायरी – रात को जीत तो पाता
रात को जीत तो पाता नहीं लेकिन ये चराग़
कम से कम रात का नुक़सान बहुत करता है
चराग़ शायरी – मेरे चराग़ अलग हो तेरे
मेरे चराग़ अलग हो तेरे चराग़ अलग…
मगर उजाला तो फिर भी जुदा नहीं होता
चराग़ शायरी – मेरे दिल की राख़ क़ुरेद
मेरे दिल की राख़ क़ुरेद मत,
इसे मुस्कुरा के हवा न दे,
ये चराग़ फिर भी चराग़ है,
कहीं तेरा हाथ जला न दे
चराग़ शायरी – कहाँ तो तय था चराग़ाँ
कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये
कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिये
चराग़ शायरी – अजब चराग़ हूँ दिन रात
अजब चराग़ हूँ दिन रात जलता रहता हूँ
मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे
चराग़ शायरी – कुछ आज शाम हीं से
कुछ आज शाम हीं से हैं दिल भी बुझा-बुझा..
कुछ शहर के चराग़ भी मद्धिम हैं दोस्तों
चराग़ शायरी – हमारे बाद अंधेरा रहेगा महफ़िल
हमारे बाद अंधेरा रहेगा महफ़िल में
बहुत चराग़ जलाओगे रौशनी के लिए
चराग़ शायरी – अब किसी राह पे जलते
अब किसी राह पे जलते नहीं चाहत के चराग़
तू मिरी आख़िरी मंज़िल है मिरा साथ न छोड़
चराग़ शायरी – फिरता हूँ अपना नक़्श-ए-क़दम ढूँडता
फिरता हूँ अपना नक़्श-ए-क़दम ढूँडता हुआ
ले कर चराग़ हाथ में वो भी बुझा हुआ