ख़ुश्बू शायरी – कभी तिनके, कभी पत्ते, कभी

कभी तिनके, कभी पत्ते, कभी ख़ुश्बू उड़ा लाई,
हमारे घर तो आँधी भी, कभी तनहा नहीं आई..

ख़ुश्बू शायरी – अब तो इन गुलाबों ने

अब तो इन गुलाबों ने भी हार मान ली है,
इस क़दर फ़ज़ाओं में तेरी ख़ुश्बू के चर्चे हुए,