दुनिया का ग़म शरीक़ है मेरे ख़ुलूस में
अब मैं तेरे सुलूक के क़ाबिल नहीं रहा
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ख़ुलूस शायरी – उसका ख़ुलूस,उसकी वफ़ा,उसकी बेरुख़ी, मैं
उसका ख़ुलूस,उसकी वफ़ा,उसकी बेरुख़ी,
मैं उसके घर के पास गया,घर नहीं गया…
ख़ुलूस शायरी – ए ख़ुलूस कहो या हमारी
ए ख़ुलूस कहो या हमारी नादानी,
जो भी हँस के मिला अपना बना लिया
ख़ुलूस शायरी – खुला है दर प तिरा
खुला है दर प तिरा इंतिज़ार जाता रहा
ख़ुलूस तो है मगर ए’तिबार जाता रहा.
ख़ुलूस शायरी – दिल में तिरे ख़ुलूस समोया
दिल में तिरे ख़ुलूस समोया न जा सका
पत्थर में इस गुलाब को बोया न जा सका
ख़ुलूस शायरी – वो शक्स जाते-जाते बड़ा काम
वो शक्स जाते-जाते बड़ा काम कर गया
रुसवाइयों का शहर मेरे नाम कर गया.
आदत थी मेरी सबसे मोहब्बत से बोलना
मेरा ख़ुलूस ही मुझे बदनाम कर गया.