ख़ता शायरी – हर शख्स दौड़ता है यहां

हर शख्स दौड़ता है यहां भीड़ की तरफ
और चाहता है कि उसे रास्ता मिले

इस दौरे मुंसिफी में जरूरी नहीं वसीम
जिस शख्स की खता हो उसी को सजा मिले