ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई
Tag: ख़ता पोएट्री इन हिंदी
ख़ता शायरी – ज़मीं पे आ गए आँखों
ज़मीं पे आ गए आँखों से टूट कर आँसू
बुरी ख़बर है फ़रिश्ते ख़ताएँ करने लगे
ख़ता शायरी – मेरी ख़ताएँ नाकाबिले माफ़ी है
मेरी ख़ताएँ नाकाबिले माफ़ी है शायद,
तभी तो बेपरवाह है इस कदर कि मेरे दर्द से अनजान तू है.
ख़ता शायरी – हर शख्स दौड़ता है यहां
हर शख्स दौड़ता है यहां भीड़ की तरफ
और चाहता है कि उसे रास्ता मिले
इस दौरे मुंसिफी में जरूरी नहीं वसीम
जिस शख्स की खता हो उसी को सजा मिले