कश्ती है तो किनारा नहीं है दूर
अगर तेरे इरादों में बुलंदी बनी रही
Tag: किनारा hindi poetry
किनारा शायरी – अब तो मिल जाओ हमें
अब तो मिल जाओ हमें तुम कि तुम्हारी ख़ातिर,
इतनी दूर आ गए दुनिया से किनारा करते
किनारा शायरी – कोई ताल्लुक है गहरा जो
कोई ताल्लुक है गहरा जो खत्म नहीं होता,
हमने देखा है उनसे किनारा करके भी
किनारा शायरी – तजुर्बा कहता है मोहब्बत से
तजुर्बा कहता है
मोहब्बत से किनारा कर लूँ…
और दिल कहता है
ये तज़ुर्बा दोबारा कर लूँ
किनारा शायरी – बहुत दूर है मेरे शहर
बहुत दूर है मेरे शहर से तेरे शहर का किनारा
फिर भी हम हवा के हर झोंके से तेरा हाल पूछते है
किनारा शायरी – तुम बेसहारा हो तो किसी
तुम बेसहारा हो तो किसी का सहारा बनो
तुम को अपने आप ही सहारा मिल जाएगा
कश्ती कोई डूबती पहुँचा दो किनारे पे
तुम को अपने आप ही किनारा मिल जाएगा
किनारा शायरी – इश्क़ ऐसा करो खुद ही
इश्क़ ऐसा करो खुद ही इश्क़ हो जाओ
वरना इस दिल्लगी से किनारा ही बेहतर…
किनारा शायरी – उतर कर डूब जाओगे, किनारा
उतर कर डूब जाओगे, किनारा ढूंढ न पाओगे
ये प्यार का समंदर है, सोच कर उतरियेगा..
किनारा शायरी – मुमकिन ही नहीं कि किनारा
मुमकिन ही नहीं कि किनारा भी करेगा
आशिक़ है तो फिर इश्क़ दोबारा भी करेगा
किनारा शायरी – ये बहर-ए-मोहब्बत है नादाँ जो
ये बहर-ए-मोहब्बत है नादाँ जो डूबेगा वो उभरेगा
वो मौज किनारा बनती है जिस मौज में तूफ़ाँ होता है