किनारा शायरी – कश्ती है तो

कश्ती है तो किनारा नहीं है दूर
अगर तेरे इरादों में बुलंदी बनी रही

किनारा शायरी – तजुर्बा कहता है मोहब्बत से

तजुर्बा कहता है
मोहब्बत से किनारा कर लूँ…
और दिल कहता है
ये तज़ुर्बा दोबारा कर लूँ

किनारा शायरी – तुम बेसहारा हो तो किसी

तुम बेसहारा हो तो किसी का सहारा बनो
तुम को अपने आप ही सहारा मिल जाएगा
कश्ती कोई डूबती पहुँचा दो किनारे पे
तुम को अपने आप ही किनारा मिल जाएगा

किनारा शायरी – उतर कर डूब जाओगे, किनारा

उतर कर डूब जाओगे, किनारा ढूंढ न पाओगे
ये प्यार का समंदर है, सोच कर उतरियेगा..