मुझ को चलने दो, अकेला है अभी मेरा सफ़र
रास्ता रोका गया तो क़ाफ़िला हो जाऊँगा..
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क़ाफ़िला शायरी – ख़ुद ही शामिल नहीं सफ़र
ख़ुद ही शामिल नहीं सफ़र में,
पर लोग कहते हैं,क़ाफ़िला हूँ मैं…
क़ाफ़िला शायरी – तिरा वजूद तिरे रास्ते में
तिरा वजूद तिरे रास्ते में हाइल है
यहीं से हो के मिरा क़ाफ़िला गुज़रता है