इब्तिदा शायरी – यही हालात इब्तिदा से रहे लोग

यही हालात इब्तिदा से रहे
लोग हम से ख़फ़ा ख़फ़ा से रहे

इब्तिदा शायरी – दावा-ए-आशिक़ी है तो ‘हसरत’ करो

दावा-ए-आशिक़ी है तो ‘हसरत’ करो निबाह
ये क्या के इब्तिदा ही में घबरा के रह गए