इनायत शायरी – कितने बदल गए हैं वो

कितने बदल गए हैं वो हालात की तरह
जब भी मिले हैं पहली मुलाक़ात की तरह
तेरी जफ़ा कहूँ के इनायत कहूँ इसे
ग़म भी मिला मुझे किसी सौगात कि तरह

इनायत शायरी – खिजाँ के दौर में उस

खिजाँ के दौर में उस पर बहार आ जाये,
तेरी निगाह को जिस पर भी प्यार आ जाये
जो आप की इनायत हो तो मजाल कहाँ,
मेरे करीब गमे – रोजगार आ जाये