ये काएनात भी क्या क़ैद-ख़ाना है कोई
ये ज़िंदगी भी कोई तर्ज़-ए-इंतिक़ाम है क्या
Tag: इंतिक़ाम poetry in hindi
इंतिक़ाम शायरी – हम भटक कर जुनूँ की
हम भटक कर जुनूँ की राहों में
अक़्ल से इंतिक़ाम लेते हैं
इंतिक़ाम शायरी – कुछ एहतियात परिंदे भी रखना
कुछ एहतियात परिंदे भी रखना भूल गए
कुछ इंतिक़ाम भी आँधी ने बदतरीन लिए
इंतिक़ाम शायरी – तुझ से वफ़ा न की
तुझ से वफ़ा न की तो किसी से वफ़ा न की
किस तरह इंतिक़ाम लिया अपने आप से
इंतिक़ाम शायरी – ये वफ़ा की सख़्त राहें
ये वफ़ा की सख़्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाज़ुक
न लो इंतिक़ाम मुझ से मिरे साथ साथ चल के
इंतिक़ाम शायरी – मुस्कुराना किसे अज़ीज़ नहीं डरते हैं
मुस्कुराना किसे अज़ीज़ नहीं
डरते हैं ग़म के इंतिक़ाम से हम
इंतिक़ाम शायरी – कोई तुम सा भी काश
कोई तुम सा भी काश तुम को मिले…
मतलब तो हम को सिर्फ इंतिक़ाम से है,