इंतिक़ाम शायरी – ये काएनात भी क्या क़ैद-ख़ाना

ये काएनात भी क्या क़ैद-ख़ाना है कोई
ये ज़िंदगी भी कोई तर्ज़-ए-इंतिक़ाम है क्या

इंतिक़ाम शायरी – तुझ से वफ़ा न की

तुझ से वफ़ा न की तो किसी से वफ़ा न की
किस तरह इंतिक़ाम लिया अपने आप से