ये वो काँटा है निकलता नहीं चुभ कर दिल से
ख़लिश-ए-इश्क़ का आज़ार बुरा होता है
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आज़ार शायरी – गर तुझ में है वफ़ा
गर तुझ में है वफ़ा तो जफ़ाकार कौन है
दिल-दार तू हुआ तो दिल-आज़ार कौन है
आज़ार शायरी – मुझे उस नींद के माथे
मुझे उस नींद के माथे का बोसा हो इनायत
जो मुझसे ख़्वाब का आज़ार लेकर जा रही है
आज़ार शायरी – मै तुम पे किस तरह
मै तुम पे किस तरह कर लूँ यकीन ऐ मेरे शनास,
के पिछले हादसे के ज़ख्म और आज़ार बाक़ी है.
आज़ार शायरी – अचानक दिलरुबा मौसम का दिल-आज़ार
अचानक दिलरुबा मौसम का दिल-आज़ार हो जाना,
दुआ आसाँ नहीं रहना सुख़न दुश्वार हो जाना
आज़ार शायरी – ऐसा तिरे फ़िराक़ में बीमार
ऐसा तिरे फ़िराक़ में बीमार हो गया
मैं चारागर की जान को आज़ार हो गया
आज़ार शायरी – एक आज़ार हुई जाती है
एक आज़ार हुई जाती है शोहरत हम को
ख़ुद से मिलने की भी मिलती नहीं फ़ुर्सत हम को
आज़ार शायरी – आज़ार सही इश्क़ मगर हाय
आज़ार सही इश्क़ मगर हाय रे लज्जत,
वो दर्द मिले हैं के दवा भूल गये हैं
आज़ार शायरी – जीस्त आज़ार हुई जाती है साँस
जीस्त आज़ार हुई जाती है
साँस तलवार हुई जाती है