साँसें में बस जाती है यूँ मीठी-मीठी ख़ुशबू सी
जैसे कोई रात की रानी मेरे आँगन रहती है
Tag: आँगन हिंदी शायरी संग्रह
आँगन शायरी – कुछ खामोशियां गाढ़ गया था
कुछ खामोशियां गाढ़ गया था वो मेरे आँगन में,
इर्दगिर्द कुछ उगने लगा है मेरा खालीपन…सूनापन…
आँगन शायरी – सूने आँगन की उदासी में
सूने आँगन की उदासी में इज़ाफ़ा हो गया
चोंच में तिनके लिये जब फ़ाख़्ताये आ गयी
आँगन शायरी – महक उठा है आँगन इस
महक उठा है आँगन इस खबर से
वो ख़ुश्बू लौट आयी है सफर से
आँगन शायरी – इक शजर ऐसा मोहब्बत का
इक शजर ऐसा मोहब्बत का लगाया जाए
जिस का हम-साये के आँगन में भी साया जाए
आँगन शायरी – रहती है छाँव क्यों मेरे
रहती है छाँव क्यों मेरे आँगन में थोड़ी देर..
इस जुर्म पर पड़ोस का वो पेड़ कट गया.
आँगन शायरी – कभी वक़्त मिले तो रखना
कभी वक़्त मिले तो रखना कदम
मेरे दिल के आँगन में
हैरान रह जाओगे मेरे दिल में
अपना मुक़ाम देखकर
आँगन शायरी – लाख गुलाब लगा लो तुम
लाख गुलाब लगा लो तुम अपने आँगन में,
जीवन में खुश्बू बेटी के आने से ही होगी..
आँगन शायरी – उसे छत पर टंगे आलीशान
उसे छत पर टंगे आलीशान झूमर पसंद थे,
और मेरा दिल किसी आँगन में जलते दीप का दीवाना था
आँगन शायरी – सुना है कि उसने खरीद
सुना है कि उसने खरीद लिया है करोड़ो का घर शहर में
मगर आँगन दिखाने वो आज भी बच्चों को गाँव लाता है