यूँ ही गुजर जाती है शाम अंजुमन में
कुछ तेरी आँखों के बहाने कुछ तेरी बातो के बहाने
Tag: अंजुमन word par hindi shayari
अंजुमन शायरी – होठों पर है तबस्सुम नज़रें
होठों पर है तबस्सुम नज़रें झुकी हुई हैं
तेरी अंजुमन में शायद कोई आईना नहीं है
अंजुमन शायरी – हर एक शख़्स ख़फ़ा मुझसे
हर एक शख़्स ख़फ़ा मुझसे अंजुमन में था
क्यों की मेरे लब पर वही था जो मेरे दिल में था.
अंजुमन शायरी – दुनिया की महफ़िलों से उकता
दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो
अंजुमन शायरी – हमारा ज़िक्र जो ज़ालिम को
हमारा ज़िक्र जो ज़ालिम को अंजुमन में नही
जभी तो दर्द का पहलू किसी सुख़न में नहीं
अंजुमन शायरी – मसरूफ़ हम भी अंजुमन-आराइयों में
मसरूफ़ हम भी अंजुमन-आराइयों में थे
घर जल रहा था लोग तमाशाइयों में थे
अंजुमन शायरी – तेरा उलझा हुआ दामन मेरी
तेरा उलझा हुआ दामन मेरी अंजुमन तो नहीं,
जो मेरे दिल में है शायद तेरी धड़कन तो नहीं
अंजुमन शायरी – जो सुनाई अंजुमन में शबे
जो सुनाई अंजुमन में शबे ग़म की आप बीती
कई रो के मुस्कुराये,कई मुस्कुरा के रोये
अंजुमन शायरी – ये अंजुमन, ये क़हक़हे, ये
ये अंजुमन, ये क़हक़हे, ये महवशों की भीड़…
फिर भी उदास.. फिर भी अकेली है ज़िंदगी..
अंजुमन शायरी – इस आलम-ए-वीराँ में क्या अंजुमन-आराई दो
इस आलम-ए-वीराँ में क्या अंजुमन-आराई
दो रोज़ की महफ़िल है इक उम्र की तन्हाई