
Mohabbat Shayari In Hindi – Josh-E-Ulfat Shayari
उन्हें भी जोश-ए-उल्फ़त हो तो लुत्फ़ उट्ठे मोहब्बत का
हमीं दिन-रात अगर तड़पे तो फिर इस में मज़ा क्या है
अकबर इलाहाबादी
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उन्हें भी जोश-ए-उल्फ़त हो तो लुत्फ़ उट्ठे मोहब्बत का
हमीं दिन-रात अगर तड़पे तो फिर इस में मज़ा क्या है
अकबर इलाहाबादी
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सब हो और तुम ना हो कुछ कमी सी लगती है
तुम हो और कोई ना हो जन्नत जमीं पर लगती है
Sab Ho Aur Tum Na Ho Kuchh Kamee See Lagatee Hai
Tum Ho Aur Koee Na Ho Jannat Jameen Par Lagatee Hai
Everything is there and you are not there, something seems missing,
You are there and there is no one else, heaven seems to be on earth.
मुझे क्या खबर थी वो भुला देगा मुझको,
उसने तो जाते हुए कहा था 2-4 दिन व्यस्त हूँ..
ये बात ये तबस्सुम ये नाज़ ये निगाहें
आख़िर तुम्हीं बताओ क्यूँकर न तुम को चाहें
काश तुझे सर्दी के मौसम मे लगे मुहब्बत की ठंड,
और तू तड़प कर माँगे मुझे कम्बल की तरह..
जूनून-ए-तूफाँ जो आते हैं तो ऐसे ही नहीं
कोई दीवाना ‘जाँ-गुलिस’ से ख़ाकसार होगा
बेवफ़ा मैं था वक़्त था या मुक़द्दर था,
बात जो भी थी अंजाम जुदाई निकला
सोचा था तुझसे दुर निकल जाएंगे कही…
देखा तो हर मुकाम तेरी राहगुज़र मे है…
दर्द लाख सही बेदर्द ज़माने में
मगर जाता भी क्या है मुस्कुराने में…
माशूक़ और भी हैं बता दे जहान में
करता है कौन ज़ुल्म किसी पर तिरी तरह