मैं भी पलकों पे सजा लूँगा लहू की बूँदें
तुम भी पा-बस्ता-ए-ज़ंजीर-ए-हिना हो जाना
Category: हिना शायरी
हिना शायरी – बरसता भीगता मौसम धुआँ धुआँ
बरसता भीगता मौसम धुआँ धुआँ होगा
पिघलती शम्मो पे दिल का मेरे गुमा होगा
हथेलियों की हिना याद कुछ दिलायेगी
हिना शायरी – इक सुब्ह थी जो शाम
इक सुब्ह थी जो शाम में तब्दील हो गई
इक रंग है जो रंग-ए-हिना हो नहीं रहा
हिना शायरी – चंद मासूम से पत्तों का
चंद मासूम से पत्तों का लहू है “फ़ाकिर”
जिसको महबूब के हाथों की हिना कहते हैं
हिना शायरी – नाम युँ ही हिना का
नाम युँ ही हिना का होता है…
रंग सारे पिया के होते है…
हिना शायरी – उमसती साँझ हिना की गँध किसी की
उमसती साँझ
हिना की गँध
किसी की याद
कैसे-कैसे प्राणलेवा
सहारे हैं
जीने के
हिना शायरी – कुश्ता-ए-रंग-ए-हिना हूँ मैं अजब इस
कुश्ता-ए-रंग-ए-हिना हूँ मैं अजब इस का क्या
कि मिरी ख़ाक से मेहंदी का शजर पैदा हो
हिना शायरी – मिटा सकी न उन्हें रोज़
मिटा सकी न उन्हें रोज़ ओ शब की बारिश भी
दिलों पे नक़्श जो रंग-ए-हिना के रक्खे थे
हिना शायरी – काँच के पार तेरे हाथ
काँच के पार तेरे हाथ नज़र आते हैं
काश ख़ुशबू की तरह रंग हिना का होता
हिना शायरी – शामिल है मेरा खून-ए-जिगर तेरी
शामिल है मेरा खून-ए-जिगर तेरी हिना में
ये कम हो तो अब खून-ए-वफ़ा साथ लिए जा