हाए कैसी वो शाम होती है…
दास्ताँ जब तमाम होती है…
Category: शाम शायरी
शाम शायरी – तेरी निगाह उठे तो सुबह
तेरी निगाह उठे तो सुबह हो, पलके झुके तो शाम हो जाये
अगर तू मुस्कुरा भर दे तो कत्ले आम हो जाये…
शाम शायरी – अंदर सब आ गया है
अंदर सब आ गया है बाहर का भी अंधेरा
ख़ुद रात हो गया हूँ मैं शाम करते करते
शाम शायरी – रखकर हसरत की राह पर
रखकर हसरत की राह पर चिराग,
सुबह-शाम तेरे मिलने की दुआ करते है..
शाम शायरी – यूँ तो हर शाम उमीदों
यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया
शाम शायरी – चराग़ चाँद शफ़क़ शाम फूल
चराग़ चाँद शफ़क़ शाम फूल झील सबा
चुराईं सब ने ही कुछ कुछ शबाहतें तेरी
शाम शायरी – पूछ लो बेशक परिन्दों की
पूछ लो बेशक परिन्दों की हसीं चेहकार से
तुम शफ़क़ की झील हो और शाम का मंज़र हूँ मैं
शाम शायरी – एक शाम आती है तुम्हारी
एक शाम आती है तुम्हारी याद लेकर,
एक शाम जाती है तुम्हारी याद देकर,
पर मुझे तो उस शाम का इंतेज़ार है,
जो आए तुम्हे अपने साथ लेकर..
शाम शायरी – कहाँ की शाम और कैसी
कहाँ की शाम और कैसी सहर, जब तुम नही होते
तड़पता है ये दिल आठो पहर, जब तुम नही होते