शाद ग़ैर-मुमकिन है शिकवा-ए-बुताँ मुझ से
मैं ने जिस से उल्फ़त की उस को बा-वफ़ा पाया
Category: शाद शायरी
शाद शायरी – तुम गै़र के घर बैठ
तुम गै़र के घर बैठ के दिल शाद करोगे
हम कौन है हमें क्यों याद करोगे
शाद शायरी – खूबसूरत सी सुबह और भी
खूबसूरत सी सुबह और भी शाद हो जाती है
जब तेरी दुआओं का साया हम महसूस करते है…
शाद शायरी – दिल मुद्दई के हर्फ़-ए-मलामत से
दिल मुद्दई के हर्फ़-ए-मलामत से शाद है
ऐ जान-ए-जाँ ये हर्फ़ तिरा नाम ही तो है
शाद शायरी – रूह को शाद करे दिल
रूह को शाद करे दिल को जो पुर-नूर करे,
हर नज़ारे में ये तनवीर कहाँ होती है