शर्म समझे तेरे तग़ाफ़ुल को
वाह क्या होशियार हम भी हैं
तुम अगर अपनी ख़ू के हो माशूक़
अपने मतलब के यार हम भी हैं
Shayari Collection In Hindi
शर्म समझे तेरे तग़ाफ़ुल को
वाह क्या होशियार हम भी हैं
तुम अगर अपनी ख़ू के हो माशूक़
अपने मतलब के यार हम भी हैं
इश्क़ माशूक़ इश्क़ आशिक़ है
यानी अपना ही मुब्तला है इश्क़
फितूर होता है, हर उम्र में जुदा जुदा
खिलौना, इश्क़, पैसा फिर खुदा खुदा
हर नए तौर के नहीं होंगे, इस नए दौर के नहीं होंगे,
आप बेख़ौफ़ बदलिये माशूक़, हम किसी और के नहीं होंगे..
बेवफ़ाई पे मरते हैं माशूक़
दिलरुबाई की शान है गोया
छेड़ माशूक़ से कीजे तो ज़रा थम थम कर,
रोज़ के नामा ओ पैग़ाम बुरे होते हैं
इस तरह भेस में आशिक़ के छुपा है माशूक़
जिस तरह आँख के पर्दे में नज़र होती है