महक रही है ज़मीं चांदनी के फूलों से
ख़ुदा किसी की मुहब्बत पे मुस्कुराया है
Category: महक शायरी
महक शायरी – नरगिस में चमेली में हिना
नरगिस में चमेली में हिना में नहीं मिलती
जिस तरह की आए है महक उसके बदन की
महक शायरी – मैने लिखा खुश्बू उसने कहा मेरा
मैने लिखा खुश्बू
उसने कहा मेरा मन महक गया
मैने लिखा दीपक
उसने कहा अंधेरा छंट गया
महक शायरी – कुछ खूबसूरत पलों की महक
कुछ खूबसूरत पलों की महक सी हैं तेरी यादें…
सुकून ये भी है कि…ये कभी मुरझाती नहीं
महक शायरी – बहुत ही खूबसूरत है तेरे
बहुत ही खूबसूरत है तेरे एहसास की खुशबू,
जितना भी सोचते है उतना ही महक जाते है
महक शायरी – मिलावट है उनके इश्क मे,
मिलावट है उनके इश्क मे, इत्र और शराब की..
कभी हम महक जाते है, कभी हम बहक जाते है..
महक शायरी – मिट्टी की बनी हूँ महक
मिट्टी की बनी हूँ महक उठूंगी
बस तू इक बार बेइन्तहा ‘बरस’ के तो देख
महक शायरी – कुछ सितारों की चमक नहीं
कुछ सितारों की चमक नहीं जाती,
कुछ यादों की खनक नहीं जाती,
कुछ लोगों से होता है ऐसा रिश्ता,
कि दूर रहके भी उनकी महक नहीं जाती
महक शायरी – हर लम्हा तुम्हारे होठों पे
हर लम्हा तुम्हारे होठों पे मुस्कान रहे
हर ग़म से तुम अनजान रहो
जिसके साथ महक उठे तुम्हारी ज़िंदगी
हमेशा आपके पास वह इंसान रहे