मंसूब शायरी – राह-ए-हयात मुझ से ही मंसूब

राह-ए-हयात मुझ से ही मंसूब हो गई
मैं इस तरह मिटा हूँ के मशहूर हो गया

मंसूब शायरी – जिस तरह रगों में खून

जिस तरह रगों में खून रहता है
इस तरह तेरी चाहत का जुनून रहता है
ज़िंदगी की हर ख़ुशी मंसूब है तुमसे
बात हो तुमसे तो दिल को सुकून रहता है

मंसूब शायरी – मिरी हर बात पस-मंज़र से

मिरी हर बात पस-मंज़र से क्यूँ मंसूब होती है
मुझे आवाज़ सी आती है क्यूँ उजड़े दयारों से

मंसूब शायरी – ग़म से मंसूब करूँ दर्द

ग़म से मंसूब करूँ दर्द का रिश्ता दे दूँ
ज़िंदगी आ तुझे जीने का सलीक़ा दे दूँ

मंसूब शायरी – गुज़ारिश अंधकार की है सिर्फ़,

गुज़ारिश अंधकार की है सिर्फ़,
रौशनियों में तेरा दीदार अब मंसूब कहाँ ?