राह-ए-हयात मुझ से ही मंसूब हो गई
मैं इस तरह मिटा हूँ के मशहूर हो गया
Category: मंसूब शायरी
मंसूब शायरी – जिस तरह रगों में खून
जिस तरह रगों में खून रहता है
इस तरह तेरी चाहत का जुनून रहता है
ज़िंदगी की हर ख़ुशी मंसूब है तुमसे
बात हो तुमसे तो दिल को सुकून रहता है
मंसूब शायरी – तुम्हारी ज़ात से मंसूब है
तुम्हारी ज़ात से मंसूब है दीवानगी मेरी
तुम्हीं से अब मिरी दीवानगी देखी नहीं जाती
मंसूब शायरी – मिरी हर बात पस-मंज़र से
मिरी हर बात पस-मंज़र से क्यूँ मंसूब होती है
मुझे आवाज़ सी आती है क्यूँ उजड़े दयारों से
मंसूब शायरी – हम से कब मंसूब है
हम से कब मंसूब है रौनक तुम्हारे बज़्म की
हम न होंगें तब भी होगी सुबह तेरी शाम तेरी
मंसूब शायरी – मुझ से मंसूब है ग़ुबार
मुझ से मंसूब है ग़ुबार मिरा
क़ाफ़िले में न कर शुमार मिरा
मंसूब शायरी – ग़म से मंसूब करूँ दर्द
ग़म से मंसूब करूँ दर्द का रिश्ता दे दूँ
ज़िंदगी आ तुझे जीने का सलीक़ा दे दूँ
मंसूब शायरी – जो बुराई मेरे नाम से
जो बुराई मेरे नाम से मंसूब हुई
दोस्तों, कितना बुरा था मेरा अच्छा होना
मंसूब शायरी – हर जुर्म मेरी जा़त से
हर जुर्म मेरी जा़त से मंसूब हुआ है
क्या मेरे सिवा शहर में मासूम हैं सारे?
मंसूब शायरी – गुज़ारिश अंधकार की है सिर्फ़,
गुज़ारिश अंधकार की है सिर्फ़,
रौशनियों में तेरा दीदार अब मंसूब कहाँ ?