
Josh Malihabadi Shayari – Love Shayari In Hindi
ये बात ये तबस्सुम ये नाज़ ये निगाहें
आख़िर तुम्हीं बताओ क्यूँकर न तुम को चाहें
Shayari Collection In Hindi
ये बात ये तबस्सुम ये नाज़ ये निगाहें
आख़िर तुम्हीं बताओ क्यूँकर न तुम को चाहें
क़दम उठे भी नहीं बज़्म-ए-नाज़ की जानिब
ख़याल अभी से परेशाँ है देखिए क्या हो
वो और होंगे किनारे से देखने वाले
मेरी न पूछ कि तूफां नाज़ उठाए हैं
वो शहर में था तो उस के लिए औरों से भी मिलना पड़ता था
अब ऐसे-वैसे लोगों के मैं नाज़ उठाऊँ किस के लिए
बहुत नाज़ था मुझे अपने चाहने वालों पे
मैं अज़ीज़ था सबको मगर ज़ुरुरतों के लिए…
बड़े प्यार से तराशा था उस संगेमरमर को
बड़ा नाज़ था उसे अपने आप पर.
एक दरार क्या पड़ी
किसीने मुड़ कर देखना तक गंवारा न समझा.
जो इश्क़ अधूरा रह जाए तो खुद पे नाज़ करना,
कहते हैं सच्ची मोहब्बत कभी मुकम्मल नहीं होती
नाज़ है गुल को, नज़ाकत पे चमन में ऐ ‘जौक’,
उसने देखे ही नहीं नाज़ो-नज़ाकत वाले…
ग़म-ए-हयात से दिल को अभी निजात नहीं,
निगाह-ए-नाज़ से कह दो कि इंतज़ार करे…
बडी बारीकी से तोडा है उसने दिल का हर कोना,
मुझे तो सच कहुँ उस के हुनर पे नाज़ होता हैं