मुझ को चलने दो, अकेला है अभी मेरा सफ़र
रास्ता रोका गया तो क़ाफ़िला हो जाऊँगा..
Month: January 2018
लम्हा शायरी – मैंने उस शख्स को कभी
मैंने उस शख्स को कभी हासिल ही नहीं किया,
फिर भी हर लम्हा लगता है कि, मैंने उसे खो दिया
रूह शायरी – हुस्न की मल्लिका हो या साँवली
हुस्न की मल्लिका हो
या साँवली सी सूरत…
इश्क अगर रूह से हो
तो हर चेहरा कमाल लगता है…
गुलशन शायरी – न गुल अपना न खार
न गुल अपना न खार अपना, न जालिम बागबाँ अपना,
बनाया आह किस गुलशन में हमने आशियाँ अपना
किनारा शायरी – अब तो मिल जाओ हमें
अब तो मिल जाओ हमें तुम कि तुम्हारी ख़ातिर,
इतनी दूर आ गए दुनिया से किनारा करते
हिना शायरी – बरसता भीगता मौसम धुआँ धुआँ
बरसता भीगता मौसम धुआँ धुआँ होगा
पिघलती शम्मो पे दिल का मेरे गुमा होगा
हथेलियों की हिना याद कुछ दिलायेगी
मुख़्तसर शायरी – कैसे क़िस्से थे कि छिड़
कैसे क़िस्से थे कि छिड़ जाएँ तो उड़ जाती थी नींद
क्या ख़बर थी वो भी हर्फ़-ए-मुख़्तसर हो जाएँगे
बेचैनियाँ शायरी – कुछ दरमियाँ नहीं गर तेरे-मेरे,
कुछ दरमियाँ नहीं गर तेरे-मेरे, बेचैनियाँ क्यों हैं…
लौट आओ, कुछ रिश्ते बेरुखी से भी नहीं टूटा करते
बेमुरव्वत शायरी – बेमुरव्वत, बेवफ़ा, बेगाना ए दिल
बेमुरव्वत, बेवफ़ा, बेगाना ए दिल आप हैं
आप मानें या न मानें मेरे कातिल आप हैं
मुद्दत शायरी – न छेड़ो मेरी नींदों को,
न छेड़ो मेरी नींदों को, मैं ख़्वाब में हूं,
बाद मुद्दत के, मैं मुलाकात में हूं