तुम मेरे साथ थे जब तक तो सफ़र रौशन था
शम्अ जिस मोड़ पे छूटी है वहीं रात हुई
Month: November 2017
मानिन्द शायरी – उससे इक बार तो रूठू
उससे इक बार तो रूठू मैं उसी की मानिन्द
और मेरी तरह से वो मुझको मनाने आये
रवादारी शायरी – मसीहा दर्द के हमदर्द हो
मसीहा दर्द के हमदर्द हो जायें तो क्या होगा ?
रवादारी के ज़ज्बे सर्द हो जायें तो क्या होगा ?
जुदाई शायरी – ना मेरी नीयत बुरी थी…
ना मेरी नीयत बुरी थी… ना उसमे कोई बुराई थी…
सब मुक़द्दर का खेल था… बस किस्मत में जुदाई थी…
जानाँ शायरी – सब कुछ बदल गया है
सब कुछ बदल गया है मगर लोग हैं ब-ज़िद,
महताब ही में सूरते-जानाँ दिखाई जाए
शाम शायरी – रखकर हसरत की राह पर
रखकर हसरत की राह पर चिराग,
सुबह-शाम तेरे मिलने की दुआ करते है..
इंतिक़ाम शायरी – कुछ एहतियात परिंदे भी रखना
कुछ एहतियात परिंदे भी रखना भूल गए
कुछ इंतिक़ाम भी आँधी ने बदतरीन लिए
तमाशा शायरी – जो भी जाता है लौट
जो भी जाता है लौट कर नहीं आता
जाने उस पार क्या तमाशा है…
मुख़्तसर शायरी – मिलेगा क्या दिलों में नफरतें
मिलेगा क्या दिलों में नफरतें रखकर ?
बड़ी मुख़्तसर-सी है ज़िन्दगी,
क्यों ना मुस्कुराकर मिला करें..
महक शायरी – नरगिस में चमेली में हिना
नरगिस में चमेली में हिना में नहीं मिलती
जिस तरह की आए है महक उसके बदन की