आज जिस्म में जान है तो देखते भी नहीं लोग,
जब रुह निकल जायेगी तो कफ़न हटा हटा कर देखेंगे…
Month: July 2017
मुद्दत शायरी – जुदा होकर भी जी रहे
जुदा होकर भी जी रहे हैं एक मुद्दत से,
कभी दोनों ही कहते थे जुदाई मार डालेगी
शरारत शायरी – मेरा दिल एक मासुम सा
मेरा दिल एक मासुम सा बच्चा..
तुझे सोचता है शरारत की तरह…
हसरत शायरी – मत पूछ कैसे गुज़र रहा
मत पूछ कैसे गुज़र रहा है हर पल मेरा तेरे बिना,
कभी बात करने की हसरत कभी मिलने की तमन्ना…
निसबत शायरी – जो आज साहिबे निसबत है,,कल
जो आज साहिबे निसबत है,,कल नहीं होंगे…
किरायेदार हैं ज़ाति मकान थोड़े है…
सज्दा शायरी – ता अर्ज़-ए-शौक़ में न रहे
ता अर्ज़-ए-शौक़ में न रहे बन्दगी की लाग
इक सज्दा चाहता हूँ तेरी आस्तां से दूर
फ़ासला शायरी – तेरे हाथ से मेरे हाथ
तेरे हाथ से मेरे हाथ तक, वो जो हाथ भर का था फ़ासला
उसे नापते, उसे काटते मेरी सारी उमर गुज़र गयी
जनाब शायरी – ज़िन्दगी में थोड़ी रवादारी ज़रूरी
ज़िन्दगी में थोड़ी रवादारी ज़रूरी है जनाब,
किसी से नहीं खुद से वफादारी ज़रूरी है जनाब
हरजाई शायरी – हुस्न के जाने कितने चेहरे
हुस्न के जाने कितने चेहरे हुस्न के जाने कितने नाम
इश्क़ का पैशा हुस्न परस्ती इश्क़ बड़ा हरजाई है
क़ातिल शायरी – चलो अच्छा हुआ कि वख्त
चलो अच्छा हुआ कि वख्त रहते दिल को बचा लिया,
तुम्हारी क़ातिल अदाओं ने तो कोई कसर छोड़ी न थी