रवादारी शायरी – मसीहा दर्द के हमदर्द हो November 3, 2017 Raj 2 Lines Shayari, रवादारी शायरी मसीहा दर्द के हमदर्द हो जायें तो क्या होगा ? रवादारी के ज़ज्बे सर्द हो जायें तो क्या होगा ? Related Posts:115+ Gulzar Quotes In Hindi - Gulzar Ki Shayari - Famous…मग़रूर शायरी - दिलक़श हैं मेरे जज़्बे,और मग़रूरक़ातिल शायरी - क़ातिल मसीहा बन कर आयाबेदर्द शायरी - हर शख्स परिन्दोँ का हमदर्दShayri 2 Line Mein - सर्द रातें बढ़ा देती हैHindi Shayari - कुछ तो हवा भी सर्द थीरवादारी शायरी - रवादारी निगाहों की बहुत होतीरवादारी शायरी - सियासत में जरूरी है रवादारीरवादारी शायरी - ज़रूरी क्या हर एक महफ़िलरवादारी शायरी - खुदगर्ज़ी औ अमरत परसती थीरवादारी शायरी - अभी तक यह इलाक़ा हैजनाब शायरी - ज़िन्दगी में थोड़ी रवादारी ज़रूरीरवादारी शायरी - सबक़ सीखा है ये बर्बादव्हाट्सएप्प हिंदी शायरी - नवंबर की तरह हम भीइनायत शायरी - खिजाँ के दौर में उस