मक़ाम शायरी – बुत-ख़ाना तोड़ डालिए, मस्जिद को

बुत-ख़ाना तोड़ डालिए, मस्जिद को ढाइए
दिल को न तोड़िए, ये ख़ुदा का मक़ाम है