जनाब शायरी – कागज़ के नोटों से आखिर

कागज़ के नोटों से आखिर
किस किस को खरीदोगे…जनाब,
किस्मत परखने के लिए यहाँ आज भी,
सिक्का हीं उछाला जाता है