दुनिया बहुत मतलबी है
साथ कोई क्यों देगा
मुफ्त का यहाँ कफ़न नहीं मिलता
तो बिना गम के प्यार कौन देगा
दुनिया बहुत मतलबी है
साथ कोई क्यों देगा
मुफ्त का यहाँ कफ़न नहीं मिलता
तो बिना गम के प्यार कौन देगा
दुआएं इकट्ठी करने मे लगा हूं,
सुना है दौलत शौहरत साथ नही जाती….
कुछ न कहने से भी छिन जाता है एजाज़-ए-सुख़न
ज़ुल्म सहने से भी ज़ालिम की मदद होती है
इत्र से कपड़ो को महकाना कोई बड़ी बात नहीं
मजा तो तब है जब ख़ुश्बू आपके किरदार से आये
नाम में क्या रखा है जनाब…
कुछ भी बोल दो बस जबान मीठी होनी चहिये…
रिश्तों का ए’तिबार वफ़ाओं का इंतिज़ार
हम भी चराग़ ले के हवाओं में आए हैं
बे-सलीक़ा ही होती हैं… नज़दीकियाँ सदा…
तहज़ीब जो गर…होगी, तो…दरमियाँ फ़ासलें भी होंगें…
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तुगू क्या है
इबादत मिलना भी शायद तक़दीर होती है.
बहुत कम लोगों के हाथों में ये लकीर होती है.
कश्ती है तो किनारा नहीं है दूर
अगर तेरे इरादों में बुलंदी बनी रही