तेरी फ़ुर्क़त में हुआ यूँ महसूस,
ज़िन्दगी एक सज़ा हो जैसे
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फ़ुर्क़त शायरी – तिरी फ़ुर्क़त में क्या-क्या गुल
तिरी फ़ुर्क़त में क्या-क्या गुल खिले हैं
बदन जलने लगा है चाँदनी से
तेरी फ़ुर्क़त में हुआ यूँ महसूस,
ज़िन्दगी एक सज़ा हो जैसे
तिरी फ़ुर्क़त में क्या-क्या गुल खिले हैं
बदन जलने लगा है चाँदनी से