अपने हाथों से यूं चहरे को छुपाते क्यों हो
मुझ से शर्माते हो तो सामाने आते क्यों हो
तुम कभी मेरी तरह कर भी लो इक़रार-ए-वफ़ा
प्यार करते हो तो फिर प्यार छुपाते क्यों हो
अपने हाथों से यूं चहरे को छुपाते क्यों हो
मुझ से शर्माते हो तो सामाने आते क्यों हो
तुम कभी मेरी तरह कर भी लो इक़रार-ए-वफ़ा
प्यार करते हो तो फिर प्यार छुपाते क्यों हो
तेरे गम को अपनी रूह में उतार लूँ..
जिन्दगी तेरी चाहत में सवार लूँ..
मुलाकात हो तुझ से कुछ इस तरह..
तमाम उमर बस इक मुलाकात में गुजार लूँ….!!