राह में उस की चलें और इम्तिहाँ कोई न हो
कैसे मुमकिन है के आतिश हो धुआँ कोई न हो
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ताबीर शायरी – सदा-ए-गुम्बद-ए-ताबीर सुन रहा हूँ मैं, फ़ज़ा-ए-ख़्वाब
सदा-ए-गुम्बद-ए-ताबीर सुन रहा हूँ मैं,
फ़ज़ा-ए-ख़्वाब में किरनों का जाल रौशन है
लिबास शायरी – हंसी, मज़ाक, अदब, महफ़िलें… उदासियों के
हंसी, मज़ाक, अदब, महफ़िलें…
उदासियों के बदन पर लिबास कितने होते हैं
निसबत शायरी – हमारी निसबत ऐसी थी की
हमारी निसबत ऐसी थी की हम मनाने में लगे थे
उन्हें फुर्सत न थी किसी दूसरे से, की हमे आजमा सके
राब्ता शायरी – दिल का राब्ता सबसे नहीं, और
दिल का राब्ता सबसे नहीं,
और वाबस्ता किसी से भी नहीं
शाद शायरी – शाद ग़ैर-मुमकिन है शिकवा-ए-बुताँ मुझ
शाद ग़ैर-मुमकिन है शिकवा-ए-बुताँ मुझ से
मैं ने जिस से उल्फ़त की उस को बा-वफ़ा पाया
गुफ़्तुगू शायरी – ज़िंदगी भर तो हुई गुफ़्तुगू
ज़िंदगी भर तो हुई गुफ़्तुगू ग़ैरों से मगर
आज तक हम से हमारी न मुलाक़ात हुई
क़फ़स शायरी – क़फ़स में हम-सफ़ीरो कुछ
क़फ़स में हम-सफ़ीरो कुछ तो मुझसे बात कर जाओ,
भला मैं भी कभी तो रहनेवाला था गुलिस्ताँ का
शाद शायरी – तुम गै़र के घर बैठ
तुम गै़र के घर बैठ के दिल शाद करोगे
हम कौन है हमें क्यों याद करोगे
रवादारी शायरी – रवादारी निगाहों की बहुत होती
रवादारी निगाहों की बहुत होती है गर कुछ हो,
वरना, इशारे तो बुर्के के अंदर से भी बेबाक होते हैं