सफर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो,
नजर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो,
हजारो फूल है गुलशन मे मगर,
खूशबू वहीं तक है जहाँ तक तुम हो..
सफर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो,
नजर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो,
हजारो फूल है गुलशन मे मगर,
खूशबू वहीं तक है जहाँ तक तुम हो..
बाँध कर रख ली है मैंने अपनी आँखों में ख़ुशबू तेरी
अब महका सा रहता हूं मैं भी किसी गुलशन की तरह
बारिशें, महबूब-ए-इश्क की बरसे
… तो करार आये
वरना, ये दिल-ए-गुलशन को ओर जला जाए
न गुल अपना न खार अपना, न जालिम बागबाँ अपना,
बनाया आह किस गुलशन में हमने आशियाँ अपना