आज अभी उनकी नज़र में राज़ वही था,
चेहरा वही था चेहरे का लिबास वही था,
कैसे उन्हें बेवफा कह दूं
आज भी उनके देखने का अंदाज़ वही था
आज अभी उनकी नज़र में राज़ वही था,
चेहरा वही था चेहरे का लिबास वही था,
कैसे उन्हें बेवफा कह दूं
आज भी उनके देखने का अंदाज़ वही था
लिबास बदल कर भी रूह नही बदलती,
आधी अधूरी कहानी मुकम्मल नही बनती
तुझे ओढू या तेरा लिबास हो जाऊँ
बस तेरे रंग में ढलकर एक एहसास हो जाऊँ..
यहाँ लिबास की कीमत है आदमी की नहीं
मुझे गिलास बड़ा दे, शराब कम कर दे
कितने बदसूरत हैं न हम सब कपडों के भीतर…
तभी तो ढूंढे अपने लिबास महंगे, बढ़िया, सुंदर
यूं तो आदम के बदन पर भी था पत्तो का लिबास
रूह उरियां क्या हुई मौसम घिनौना हो गया
सोचो तो सिलवटों से भरी है तमाम रूह
देखो तो इक शिकन भी नहीं है लिबास में