हुस्न की मल्लिका हो
या साँवली सी सूरत…
इश्क अगर रूह से हो
तो हर चेहरा कमाल लगता है…
हुस्न की मल्लिका हो
या साँवली सी सूरत…
इश्क अगर रूह से हो
तो हर चेहरा कमाल लगता है…
आज का इश्क़ हैसियत देखता है साहिब…
वो दौर अलग था, जब रूह से इश्क़ होता था…
सिर्फ़ एहसास है ये रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो..
अधूरे से रहते है मेरे लफ्ज़ तेरे जिक्र के बिना,
जैसे मेरी हर शायरी की रूह तुम ही हो…
हम अपनी रूह तेरे जिस्म में छोड़ आए फ़राज़
तुझे गले से लगाना तो एक बहाना था