तेरे फ़िराक़ में जैसे ख़याल मुफ़्लिस का
गई है फ़िक्र-ए-परेशाँ कहाँ कहाँ मेरी
Tag: उर्दू मुफ़्लिस शायरी
मुफ़्लिस शायरी – अहल-ए-दवल में धूम थी रोज़-ए-सईद
अहल-ए-दवल में धूम थी रोज़-ए-सईद की
मुफ़्लिस के दिल में थी न किरन भी उम्मीद की
मुफ़्लिस शायरी – हम ने सब को मुफ़्लिस
हम ने सब को मुफ़्लिस पा के तोड़ दिया दिल का कश्कोल
हम को कोई क्या दे देगा क्यूँ मुँह-देखी बात करें
मुफ़्लिस शायरी – ख़्वाबों की बात हो न
ख़्वाबों की बात हो न ख़यालों की बात हो…
मुफ़्लिस की भूख, उसके निवालों की बात हो…
मुफ़्लिस शायरी – यूँ तो बनते भी है
यूँ तो बनते भी है कानून यहाँ रोज़ नए
न्याय मुफ़्लिस को मिले ऎसी हुकूमत ही नहीं
मुफ़्लिस शायरी – जैसे मुफ़्लिस की जवानी जैसे
जैसे मुफ़्लिस की जवानी जैसे बेवा का शबाब
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल..
मुफ़्लिस शायरी – इस क़दर मुफ़्लिस हूँ मैं
इस क़दर मुफ़्लिस हूँ मैं जाँ को बचाने,
भूख में ख़ुद को चबाकर रह गया हूँ
मुफ़्लिस शायरी – कसते नहीं गरदन
कसते नहीं गरदन पे अमीरों की शिकंजा
मुफ़्लिस का गला काट रहे मुल्क के हुक्काम
मुफ़्लिस शायरी – पेट भरने की ख़ातिर वो
पेट भरने की ख़ातिर वो मुफ़्लिस चने,
रोज़ लोहे के चुन – चुन चबाता गया