कितनी दीवारें उठी हैं एक घर के दरमियाँ
घर कहीं गुम हो गया दीवार-ओ-दर के दरमियाँ
Tag: उर्दू दरमियाँ शायरी
दरमियाँ शायरी – खुदा की बन्दगी शायद अधूरी
खुदा की बन्दगी शायद अधूरी रह गई…
तभी तेरे मेरे दरमियाँ… ये दूरी रह गई..
दरमियाँ शायरी – नाराजगी, शिकायते रोज होती है
नाराजगी, शिकायते रोज होती है दरमियाँ,
हुजुर का फिर भी इंतजार रहता है..
दरमियाँ शायरी – अब ऐसे ही ज़िन्दगी को
अब ऐसे ही ज़िन्दगी को गुज़ारा करेंगे हम
आओ न पास फिर भी पुकारा करेंगे हम
दीवार इक रिवाज़ की हमारे है दरमियाँ
अब दूर से ही तुमको निहारा करेंगे हम
दरमियाँ शायरी – कुछ न कुछ तो उसके
कुछ न कुछ तो उसके मेरे दरमियाँ बाक़ी रहा,
चोट बेशक भर गई लेकिन निशां बाक़ी रहा
दरमियाँ शायरी – दिल्लगी का हीं सही, साथ
दिल्लगी का हीं सही, साथ कोई वास्ता तो है
कौन कहता है हमारे दरमियाँ कुछ भी नहीं
दरमियाँ शायरी – छिड़ी है आज मुझसे आसमाँ
छिड़ी है आज मुझसे आसमाँ से
ज़रा हट जाइएगा दरमियाँ से